Hindenburg पर आया मॉरिशस का भी रिएक्शन, अडानी ग्रुप और SEBI को लेकर कही दो टूक बात

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सेबी चीफ को लेकर जारी की गई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को लेकर मॉरिशस के फाइनेंशियल सर्विस कमिशन (FSC) ने कहा कि इसमें जिस ऑफशोर फंड की बात कही गई है, उससे देश का कोई लेना-देना नहीं है.

अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की नई रिपोर्ट में मार्केट रेग्युलेटर SEBI की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों में नया मोड़ आया है. दरअसल, नाथन एंडरसन के नेतृत्व वाली फर्म ने सेबी चीफ पर आरोप लगाते हुए मॉरिशस का भी जिक्र किया था. इसे लेकर देश के फाइनेंशियल सर्विस कमिशन(FSC) ने दो टूक शब्दों में कहा है कि जिस फंड के इस्तेमाल के बारे में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है, उससे Mauritius का कोई लेना-देना नहीं है.

‘मॉरिशस में शेल कंपनियों को इजाजत नहीं’

Hindenburg-SEBI विवाद के बीत बीते कारोबारी दिन मंगलवार को मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विस कमिशन (FSC) की ओर से स्टेटमेंट जारी किया गया. इसमें कबा गया कि हिंडनबर्ग रिसर्च के SEBI प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों में जिस ऑफशोर फंड का जिक्र किया गया है, उससे मॉरिशस का लेन-देना नहीं है, क्योंकि हमारा देश शेल कंपनियों को काम करने की इजाजत नहीं देता है. एफएससी के बयान के मुताबिक, उसने 10 अगस्त, 2024 को अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट में दी गई जानकारी का संज्ञान लिया है, जिसमें ‘मॉरीशस स्थित शेल कंपनियों’ और देश को ‘Tax Haven’ के तौर पर प्रदर्शित किया गया है.

ऑफशोर फंड को नदीं दिया गया लाइसेंस 
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, FSC ने कहा है कि SEBI चीफ को लेकर आई हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आईपीई प्लस फंड (IPE+) मॉरीशस का एक स्मॉल ऑफशोर फंड है और आईपीई प्लस फंड-1 का रजिस्ट्रेशन मॉरीशस में ही है. लेकिन हम यह साफ करना चाहते हैं कि आईपीई प्लस फंड और आईपीई प्लस फंड-1 मॉरीशस से जुड़ा नहीं है और देश में इसे कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि मॉरीशस में ग्लोबल बिजनेस फर्मों के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर है. यहां पर FSC से लाइसेंस पाने वालीं सभी कंपनियों को फाइनेंशियल सर्विस कमिशन एक्ट की धारा 71 के तहत सभी नियमों को मानना होता है और इनकी निरंतर निगानी की जाती है. 

हिंडनबर्ग ने सेबी चीफ पर लगाए हैं ये आरोप 

Hindenburg की ओर से बीते शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट में दावा करते हुए कहा गया था कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से खुलासा होता है कि माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने 5 जून, 2015 को सिंगापुर में आईपीई प्लस फंड 1 के साथ अपना अकाउंट खोला. इसमें दंपति का कुल निवेश 10 मिलियन डॉलर आंका गया है. हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि ऑफशोर मॉरीशस फंड की स्थापना इंडिया इंफोलाइन के माध्यम से अडानी ग्रुप के एक निदेशक ने की थी और यह टैक्स हेवन मॉरीशस में रजिस्टर्ड है. 

FSC ने कहा- टैक्स हेवन नहीं है मॉरिशस
बीते साल 24 जनवरी 2023 को Hindenburg ने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) पर अपनी रिसर्च रिपोर्ट के 18 महीने बाद सेबी चीफ और उनके पति पर ये गंभीर आरोप लगाए हैं. रिपोर्ट का दावा किया गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमुडा और मॉरिशस के फंड में हिस्सेदारी ली और इन्हीं दो फंडों का यूज  गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी (Vinod Adani) ने भी किया था. लेकिन अब हिंडनबर्ग के इन आरोपों को दरकिनार करते हुए मॉरिशस की ओर से साफ कर दिया गया है कि ये फंड वहां मौजूद नहीं हैं और मॉरीशस को एक पारदर्शी क्षेत्राधिकार के रूप में मान्यता दी गई है और इसे टैक्स हेवन नहीं कहा जा सकता है.  

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