बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को लेकर विवाद नया नहीं है। हाल ही में, जाहांगिरनगर विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस प्रणाली के खिलाफ सक्रिय आंदोलन शुरू किया है। उनकी मांग है कि प्रथम और द्वितीय श्रेणी की सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त कर मेरिट-आधारित भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।
आंदोलन की शुरुआत और पृष्ठभूमि:
1 जुलाई 2024 को, “विषमता विरोधी छात्र आंदोलन” के बैनर तले जाहांगिरनगर विश्वविद्यालय के छात्रों ने केंद्रीय शहीद मीनार के सामने एक सभा आयोजित की। इस सभा में उन्होंने चार सूत्रीय मांगें प्रस्तुत कीं, जिनमें प्रमुख मांग 2018 में घोषित सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली को समाप्त करने के परिपत्र को बहाल रखना था। सभा के बाद, छात्रों ने ढाका-आरिचा हाईवे को अवरुद्ध किया, जो लगभग 10 मिनट तक चला।
आंदोलन की प्रगति:
1 जुलाई के बाद, छात्रों ने अपना आंदोलन जारी रखा। 10 जुलाई को “बांग्ला ब्लॉकेड” कार्यक्रम के तहत उन्होंने पुनः ढाका-आरिचा हाईवे को अवरुद्ध किया, जो सुबह 10:30 बजे से शाम 7 बजे तक चला। इस अवरोध के कारण हाईवे के दोनों लेनों में लंबा जाम लगा, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी हुई।
संघर्ष और तनाव:
15 जुलाई को, कोटा सुधार आंदोलनकारी छात्रों और छात्र लीग के बीच संघर्ष की घटना हुई। लाइब्रेरी के सामने से एक विरोध मार्च निकालने के बाद, बटतला क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच धक्का-मुक्की हुई। इसमें पांच महिला छात्रों सहित कम से कम 20 लोग घायल हुए, जिनमें परिवहन कार्यालय के प्रभारी शिक्षक प्रोफेसर औलाद हुसैन भी शामिल थे।
नेतृत्व पर दबाव:
आंदोलन के प्रमुख समन्वयक आरिफ सोहेल को 28 जुलाई की रात डिबी (डिटेक्टिव ब्रांच) के नाम पर उनके घर से उठाए जाने का आरोप है। परिवार का दावा है कि रात 3:50 बजे के आसपास 8-10 लोगों का एक समूह घर में घुसा और आरिफ और उनके बड़े भाई को ले गया। बाद में बड़े भाई को छोड़ दिया गया, लेकिन आरिफ का कोई पता नहीं चला।
छात्रों की मांगें और प्रतिक्रियाएं:
छात्रों की मुख्य मांग है कि संविधान में उल्लिखित पिछड़े समूहों को छोड़कर सभी प्रकार की कोटा प्रणाली को समाप्त किया जाए। उनके अनुसार, स्वतंत्रता के 53 साल बाद भी मुक्ति योद्धा कोटा को बनाए रखना अनुचित है। वे केवल पिछड़े, वंचित और विकलांग समुदायों के लिए कोटा रखने के पक्ष में हैं।
यह आंदोलन देश के शैक्षणिक संस्थानों में कोटा प्रणाली को लेकर नई बहस को जन्म दे रहा है। छात्रों की मांगों और सरकार की प्रतिक्रियाओं पर समाज के विभिन्न वर्गों में चर्चा हो रही है। कोटा प्रणाली के सुधार या समाप्ति के बारे में नीति निर्धारकों का निर्णय समय ही बताएगा।